ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय | Jyotiba fule ka jivan Parichay

Jyotiba fule biography in Hindi :- दोस्तों आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय, ज्योतिबा फुले बायोग्राफी इन हिंदी, ज्योतिबा फुले की जीवनी के बारे में विस्तार पूर्वक बात करने वाले हैं ज्योतिबा फुले प्रथम ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने दलितों के लिए लड़ाई लड़ी थी और उनके हक की बात भी उनके द्वारा कही गई थी दलितों के लिए आवाज उठाने वाले ज्योतिबा फुले प्रथम व्यक्ति माने जाते हैं ज्योतिबा फुले एक बिजनेसमैन तथा एक बेहतरीन राइटर माने जाते थे उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले प्रथम शिक्षित महिला मानी जाती हैं

और उनकी पत्नी ने लड़कियों के लिए प्रथम स्कूल भी बनाई थी ज्योतिबा फुले वेदों के खिलाफ तथा ब्राह्मणों के खिलाफ थे ज्योतिबा फुले के द्वारा सत्यशोधक समाज का निर्माण किया गया था यदि दोस्तों आप ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय के बारे में नहीं जानते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही फायदेमंद होने वाला है क्योंकि इसमें आपको ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय के बारे में जानकारी मिलेगी तो चलिए दोस्तों अब हम बिना देरी किए ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से जान लेते हैं।

ज्योतिबा फुले का प्रारंभिक जीवन

ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को हुआ था इनका जन्म सतारा महाराष्ट्र पुणे में हुआ था ज्योतिबा फुले का वास्तविक नाम महात्मा ज्योतिराव गोविंद राव फुले था ज्योतिबा फुले के माता-पिता का नाम गोविंद राव फुले तथा विमला बाई था ज्योतिबा फुले की शादी सावित्रीबाई फुले से हुई थी उनकी पत्नी के द्वारा महिलाओं के लिए स्कूल भी खोले गए थे ज्योतिबा फुले का आरंभिक जीवन काफी कठिनाइयो भर रहा था

क्योंकि इनका परिवार काफी गरीब था अपना रोज का गुजारा चलाने के लिए यह बाग बगीचों में काम करते थे जब ज्योतिबा फुले की आयु मात्र 1 वर्ष की हुई थी तो उस समय उनकी माता विमला बाई का देहांत हो जाता है और बचपन में इनका मां का प्यार नहीं मिलता है माताजी की मृत्यु के बाद इनका लाल पालन एक दाई के द्वारा किया जाता है जिसका नाम सगुणाबाई था इस महिला ने ज्योतिबा फुले को अपने बेटे से भी ज्यादा प्यार दिया था इस प्रकार ज्योतिबा फुले का प्रारंभिक जीवन निकला था।

ज्योतिबा फुले की आरंभिक शिक्षा

बचपन में ही माता जी का देहांत हो जाता है और इसी कारण से इनका लाल पालन दाई माता के द्वारा किया जाता है और इन्होंने अपनी शिक्षा की शुरुआत भी काफी देर से शुरू की थी इनकी आयु जब 7 वर्ष की हो गई थी तब इनका एडमिशन गांव के स्कूल में करवाया गया था लेकिन जिस स्कूल में इनका एडमिशन करवाया गया था तो वहां का वातावरण सबसे अलग था वहां पर जातिवाद चलता था इसलिए उस स्कूल में ज्योतिबा फुले को पढ़ने नहीं दिया गया था इनको पढ़ने की इच्छा काफी थी लेकिन इनका स्कूल छूट जाता है

लेकिन उनकी पढ़ाई को सगुणाबाई ने जारी रखा था और इनके द्वारा ज्योतिबा फुले को पढाने का प्रयास भी किया गया था ज्योतिबा फुले को बचपन से ही किताबें पढ़ने का काफी शौक था और यह अपने बचे हुए समय में किताबें पढ़ने का काम करते थे ज्योतिबा फुले को बुजुर्ग व्यक्तियों से बात करना काफी पसंद होता था और इसी कारण से लोग ज्योतिबा फुले से प्रभावित होने लग गए थे और आगे जाकर ज्योतिबा फुले ने दलितों के लिए लड़ाई लड़ी तथा नारी शिक्षा और विधवा विवाह आदि इन सबके लिए ज्योतिबा फुले ने लड़ाइयां लड़ी थी।

ज्योतिबा फुले की पत्नी

ज्योतिबा फुले की पत्नी का नाम सावित्रीबाई फुले था और ज्योतिबा फुले के साथ-साथ सावित्रीबाई फुले ने भी महिलाओं के लिए काफी लड़ाइयां लड़ी थी सावित्रीबाई फुले के द्वारा लड़कियों के लिए स्कूल खोले गए थे 1848 में प्रथम स्कूल खोला गया और यह हमारे देश का पहला स्कूल माना जाता है लेकिन जिस समय यह स्कूल खोला गया था तो उस समय इसको चलाना काफी आसान नहीं था

जिस समय यह स्कूल खोला गया था तो उस समय पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं आया था तब सावित्रीबाई फुले के द्वारा ही बच्चों को पढाने का काम किया था जब इस बात का पता गांव के उच्च लोगों को पड़ा था तो उस समय इनका काफी विरोध किया गया था और इनको गांव से निकलने के लिए मजबूर कर दिया गया था लेकिन इन्होंने किसी की नहीं मानी और लगातार स्कूल खुलवा दिए गए थे लेकिन उस समय अंग्रेजों का अधिकार था और उनको यह सब स्वीकार नहीं था।

ज्योतिबा फुले द्वारा किए गए काम

महात्मा ज्योतिबा फुले के समय दलितों के साथ काफी बुरा बर्ताव किया जाता था दलितों को उस समय सार्वजनिक स्थलों पर स्वयं पानी पीने की अनुमति नहीं थी यह सब ज्योतिबा फुले को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं था और इन्होंने तुरंत दलितों को न्याय दिलाने की सोच ली थी और इन्होंने दलित वर्ग के लोगों को पानी पीने के लिए इनके द्वारा अपने घर के पास एक कुआं खुदवाया जाता है और इसी कारण से इनको न्यायपालिका का अध्यक्ष भी बनाया गया था ज्योतिबा फुले ने दलित वर्ग के लोगों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर पानी की टंकियां भी लगवा दी थी

ज्योतिबा फुले के द्वारा सत्यशोधक समाज की स्थापना की गई थी और इनको महात्मा की उपाधि 1988 में मिली थी इन्होंने किसानों के लिए भी आवाज उठाई थी और जो व्यक्ति मजदूरी करते थे तो उनके लिए सप्ताह में 1 दिन की छुट्टी का मुद्दा भी इनके द्वारा उठाया गया था महिलाओं के लिए लड़ाई तथा बाल विवाह सती प्रथा का विरोध और इसी के साथ ही विधवा विवाह का समर्थन भी इनके द्वारा किया गया था अपने जीवन का पूरा समय ज्योतिबा फुले ने समाज में पनप रही कुरीतियों तथा भेदभाव को मिटाने में लगा दिया था ज्योतिबा फुले के द्वारा 1871 में विधवा आश्रम भी खोला गया था।

ज्योतिबा फुले द्वारा रचित किताबें

जैसा कि आप लोग जानते हैं कि ज्योतिबा फुले को किताबें पढ़ने का काफी शौक था और यह एक महान बिजनेसमैन तथा बेहतरीन लेखक भी माने जाते थे इनके द्वारा निम्न पुस्तक लिखी गई थी –

  • अछुतों की कैफियत
  • तृतीय रत्न
  • छत्रपति शिवाजी
  • ब्राह्मणों का चातुर्य
  • किसान का कोड़ा

इन सब पुस्तकों की रचना ज्योतिबा फुले के द्वारा ही की गई थी।

ज्योतिबा फुले से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • ज्योतिबा फुले ने अपने जीवन में बहुत सारी पुस्तक लिखी थी जैसे गुलामगिरी, राजा भोसला का पखड़ा आदि।
  • ज्योतिबा फुले ने विधवा विवाह का समर्थन तथा सती प्रथा का विरोध आदि किया था।
  • इन्होंने बहुत सारे स्कूल खोले थे और पढ़ाने वाला नहीं मिलने के कारण उनकी पत्नी के द्वारा ही पढ़ाया गया था।
  • इनके द्वारा दलित वर्ग के व्यक्तियों के लिए आवाज उठाई गई थी।
  • दलित वर्ग के लोगों के लिए पानी पीने के लिए इन्होंने अपने घर में कुआं खुदवाया था।
  • इनके द्वारा सत्यशोधक समाज की स्थापना 1873 में की गई थी।
  • इनको महात्मा की उपाधि 1888 में मुंबई की एक विशाल सभा में दी गई थी।
  • महात्मा ज्योतिबा फुले के संघर्ष के कारण सरकार के द्वारा एग्रीकल्चर एक्ट पास किया गया था।
  • ज्योतिबा फुले के द्वारा ही दलित शब्द का पहली बार प्रयोग किया गया था।

ज्योतिबा फुले की मृत्यु

ज्योतिबा फुले ने अपना जीवन दलित वर्ग के लोगों के लिए और उनको न्याय दिलाने के लिए समर्पित कर दिया था और उनके संघर्ष के कारण ही सरकार के द्वारा एग्रीकल्चर एक्ट पास किया गया था इन्होंने अपने जीवन में विधवा विवाह का समर्थन तथा सत्य प्रथा का विरोध आदि किया था इनका निधन 28 नवंबर 1890 को हुआ था।

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FAQ :-

ज्योतिबा फुले का जन्म कब हुआ था?

ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को हुआ था इनका जन्म महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुआ था।

ज्योतिबा फुले की पत्नी का क्या नाम था?

ज्योतिबा फुले की पत्नी का नाम सावित्रीबाई फुले था जिनके द्वारा महिलाओं के लिए स्कूल खोले गए थे।

ज्योतिबा फुले ने किसकी स्थापना की थी?

ज्योतिबा फुले ने 1873 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की थी।

ज्योतिबा फुले ने किन पुस्तकों की रचना की थी?

ज्योतिबा फुले ने गुलामगिरी, छत्रपति शिवाजी, ब्राह्मणों का चतुर्थ आदि पुस्तकों कि रचना की गई थी।

ज्योतिबा फुले के कार्य क्या है?

ज्योतिबा फुले ने दलित वर्ग के व्यक्तियों के लिए लड़ाइयां लड़ी थी और इसी के साथ ही इन्होंने विधवा विवाह का समर्थन सती प्रथा का विरोध किया था इनके द्वारा विधवा आश्रम भी खोले गए थे ज्योतिबा फुले ने दलित वर्ग के व्यक्तियों के लिए पानी पीने के लिए अपने घर में कुआं भी खुदवाया था।

अंतिम शब्द :-

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