कालिदास का जीवन परिचय | Kalidas ka jivan Parichay

कालिदास का जीवन परिचय :- नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको कालिदास का जीवन परिचय, Kalidas ka jivan Parichay, Kalidas biography in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक बताने वाले हैं दोस्तों कालिदास एक महान कवि थे और इनका नाम श्रेष्ठतम कवियों में से एक माना जाता है कवि के अलावा कालिदास जी संस्कृत के महान विद्वान भी थे राजा विक्रमादित्य के दरबार में नौरत्न उपस्थित थे तो उनमें से एक कालिदास की भी थे कालिदास जी ने श्रृंगार रस की रचनाओं की थी और जो भी उनके रचनाओं को एक बार पढ़ लेता था तो उनके अंदर के भाव अपने आप ही जागृत हो जाते थे।

इन्होंने अपने साहित्य की रचनाओं में आदर्शवादी तथा नैतिक मूल्य का विशेष रूप से ध्यान रखा था अलग-अलग भाषाओं में उनकी रचनाओं को प्रकाशित किया गया था इन्होंने जो भी रचनाएं की थी यह सब सारी रचनाएं पौराणिक कथाओं पर ही आधारित थी कालिदास जी कवि के अलावा नाटककार भी थे आज हम आपको कालिदास का जीवन परिचय के बारे में विस्तार पूर्वक बताएंगे तो आपको इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना है तो चलिए दोस्तों कालिदास का जीवन परिचय हम इस आर्टिकल के माध्यम से जान लेते हैं।

कालिदास जी का प्रारंभिक जीवन

कालिदास जी के जन्म को लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत हैं कुछ विद्वान कालिदास जी का जन्म 150 ईसा पूर्व से 450 ईसा पूर्व तक मानते हैं जबकि कुछ विद्वान ऐसे हैं जो कालिदास जी का जन्म गुप्त काल में मानते हैं अभी भी कालिदास जी के जन्म को लेकर को स्पष्ट मत नहीं है जबकि विद्वानों के बीच में इनके जन्म को लेकर मतभेद चलता रहता है कालिदास जी का एक प्रसिद्ध नाटक मालविकाग्निमित्र में लगभग 170 ईसा पूर्व में अग्निमित्र के संकेत मिलते थे उसके बाद छठी शताब्दी के हर्ष चरितम में कालिदास जी का उल्लेख मिलता है और इन सभी के अनुसार कालिदास जी का जन्म और इनका लान पालन पहली शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के बीच में माना जाता है।

कालिदास जी का जन्म स्थान

जैसे इनके जन्म को लेकर अलग-अलग विद्वानों ने अपने अलग-अलग मत दिए हैं ठीक उसी प्रकार उनके जन्म स्थान को लेकर भी अलग-अलग विद्वानों के अलग-अलग मत हैं कुछ विद्वान इनके जन्म स्थान उज्जैन को मानते हैं तथा कुछ विद्वान इनके जन्म स्थान को उत्तराखंड मानते हैं इस प्रकार इनके जन्म स्थान को लेकर भी कोई स्पष्ट वर्णन नहीं है।

कालिदास जी का विवाह

एक विद्योतमा नामक राजकुमारी थी और उसने प्रतिज्ञा ले रखी थी कि उसका विवाह उसी व्यक्ति से होगा जो उसको वाद विवाद में मात देने में सक्षम हो जाएगा बहुत सारे उम्मीदवार ने अपना-अपना प्रयास किया लेकिन सब असफल हो गए थे लेकिन उसके बाद कालिदास जी ने अपना प्रयास किया राजकुमारी और कालिदास जी के मध्य वाद विवाद होने लगा और अंत में कालिदास जी का विवाह राजकुमारी से हो जाता है।

कालिदास जी को ज्ञान की प्राप्ति

ऐसा माना जाता है कि जब पत्नी के द्वारा कालिदास जी का अपमान किया गया था तो इन्होंने गृह त्याग करने का निश्चय कर लिया था गृह त्याग करने के बाद कालिदास जी कुछ दिनों तक तो इधर-उधर भटकते रहे और अंत में यह ज्ञान की प्राप्ति करने के लिए हिमालय घूमने चले जाते हैं उसके बाद जब यह बद्रीनाथ और केदारनाथ के मार्ग में चल रहे थे तो उनके मार्ग से कुछ किलोमीटर की दूरी पर एक सिद्ध पीठ मां धारी देवी का मंदिर था कालिदास जी उस मंदिर में जाते हैं और मां धारी की आराधना करने लग जाते हैं और यही से वह मां काली के परम उपासक भी बन जाते हैं ऐसा माना जाता है कि कालिदास जी ने यहां रखकर मां काली की कठोर साधना की थी और मां काली के आशीर्वाद देने के बाद ही इनको ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

मां काली के आशीर्वाद के बाद कालिदास की संस्कृति के महान विद्वान बन गए थे और यह परम ज्ञानी भी बन गए थे जब इनको ज्ञान के प्रति हो गई थी तो यह अपने घर पर लौट गए थे और घर पर आने के बाद उनकी पत्नी के द्वारा इनका भव्य स्वागत किया गया था।

कालिदास जी द्वारा रचित कृतियां

कालिदास जी कि मुख्य रूप से तो केवल सात कृतियां ही मानी जाती हैं

नाटक

  • विक्रमोर्यवशियम
  • अभिज्ञान शाकुन्तल
  • मालविकाग्निमित्रम्

महाकाव्य

  • कुमारसंभव
  • रघुवंशम

खंडकाव्य

  • ऋतुसंहार
  • मेघदूतम

कालिदास जी का साहित्यिक परिचय

कालिदास जी बचपन से ही बहुत सरल स्वभाव के व्यक्ति थे और यह संस्कृत के एक महान विद्वान थे इन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से ही साहित्यिक विशेषताओं को प्रस्तुत किया था इनकी रचनाओं में हमेशा आपको प्रेम का वर्णन दिखाई देगा और उनकी रचनाओं से यह पता चलता है कि यह प्रेमी विचारों वाले महान व्यक्ति थे।

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FAQ :-

कालिदास जी का जन्म कब हुआ था?

कालिदास के जन्म को लेकर स्पष्ट वर्णन नहीं है क्योंकि अलग-अलग विद्वानों ने अपना अलग-अलग मत दिया है कुछ विद्वान उनके जन्म को 150 ईसा पूर्व से 450 ईसा पूर्व तक मानते हैं और कुछ विद्वानों के अनुसार इनका जन्म पहली शताब्दी से लेकर तीसरी शताब्दी के बीच में मानते हैं।

कालिदास का जन्म कहां हुआ था?

कालिदास का जन्म स्थान को लेकर भी मतभेद चलता रहता है कुछ विद्वान इनके जन्म को उज्जैन मध्य प्रदेश मानते हैं तथा कुछ विद्वान इनके जन्म को उत्तराखंड मानते हैं।

कालिदास की पत्नी कौन थी और इनके गुरु कौन थे?

कालिदास जी की पत्नी विद्योतमा थी और इनकी पत्नी ही इनकी गुरु थी।

कालिदास की कृतियां कितनी थी?

कालिदास की कुल 7 कृतियां थी जिसमें से तीन नाटक तथा दो खंडकाव्य और दो महाकाव्य थे।

अंतिम शब्द :-

उम्मीद करता हूं दोस्तों कालिदास का जीवन परिचय, कालिदास बायोग्राफी इन हिंदी, Kalidas biography in Hindi, Kalidas ka jivan Parichay के बारे में जो हमने आपको बताया है यह आपको बहुत पसंद आया होगा यदि दोस्तों यह आर्टिकल आपको पसंद आता है तो आप इसको सोशल मीडिया पर भी शेयर करें और अपने मित्रों के साथ भी इस जानकारी को साझा करें।

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