राजाराम मोहन राय की जीवनी | Rajaram mohan Rai ki jivani

राजाराम मोहन राय की जीवनी :- दोस्तों आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से राजा राममोहन राय की जीवनी के बारे में चर्चा करने वाले हैं हम आपके दोस्तों यहां पर राजा राममोहन राय की जीवनी, Rajaram mohan Rai ki jivani, Rajaram Mohan Rai biography in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक अध्ययन करने वाले हैं दोस्तों राजा राममोहन राय को एक महान व्यक्ति माना जाता है और यह आधुनिक भारत के एक महान पुरुष भी हैं इन्होंने समाज के प्रति बहुत सारा काम किया है और काफी सारे इन्होंने सामाजिक बदलाव भी किए हैं।

राजाराम मोहन राय के द्वारा ही सती प्रथा पर रोक लगाई गई थी और इन सबके अलावा भी राजा राममोहन राय ने हिंदू समाज में जो भी व्याप्त बुराई आती उनका विरोध किया था और फोन में बदलाव लाने का प्रयास भी किया था यदि दोस्तों आप राजा राममोहन राय के बारे में बिल्कुल भी नहीं जानते हैं तो इस आर्टिकल के माध्यम से आप राजा राममोहन राय की जीवनी, Raja rammohan Rai ki jivani के बारे में विस्तार पूर्वक जानने वाले हैं तो चलिए दोस्तों अब हम राजा राममोहन राय की जीवनी के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से जानकारी को प्राप्त कर लेते हैं।

राजा राममोहन राय के बारे में जानकारी

आधुनिक भारत के महापुरुष राजा राममोहन राय थे और इन्होंने हिंदू धर्म में व्याप्त जो भी बुराइयां थी उनको दूर करने का प्रयास किया था और उनका विरोध भी किया था और इन्होंने बहुत सारे सामाजिक बदलाव भी किए थे और इन्होंने सती प्रथा पर रोक लगाई थी ऐसा करने वाले यह प्रथम व्यक्ति हैं इस प्रथा पर इन्होंने इसलिए रोक लगाई थी क्योंकि अनेक निर्दोष महिलाओं को अपने पति के साथ ही अपने प्राणों का भी त्याग करना पड़ता था क्योंकि उस समय यह परंपरा थी लेकिन इन्होंने इस प्रथा को समाप्त कर दिया और हिंदू धर्म में एक नया सामाजिक बदलाव किया था।

राजा राममोहन राय का प्रारंभिक जीवन

राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई 1772 को हुआ था इनका जन्म बंगाल के हुगली नामक जिले में राधा नगर गांव में माना जाता है राजा राममोहन राय के माता-पिता का नाम रामकंतो राॅय तथा तैरिनी था तथा इनका परिवार वैष्णव समाज से निवास करता था इनका परिवार कट्टर हिंदू था जब राजा राममोहन राय की आयु मात्र नव वर्ष की थी तो उनकी शादी कर दी गई थी लेकिन शादी के कुछ सालों के बाद ही उनकी पत्नी का देहांत हो जाता है उसके बाद राजा राममोहन राय की दूसरी शादी की गई थी जिससे उनके दो पुत्र हुए थे लेकिन 1826 में उनकी दूसरी पत्नी का भी देहांत हो जाता है उसके बाद राजा राममोहन राय ने तीसरी शादी की लेकिन उनकी तीसरी पत्नी का भी देहांत हो जाता है इस प्रकार राजाराम मोहन राय का अपना प्रारंभिक जीवन निकला था।

राजा राममोहन राय की प्रारंभिक शिक्षा

राजा राममोहन राय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा को संस्कृत भाषा में ही पूरा किया था और इन्होंने इस भाषा को लगभग 15 वर्ष तक पढ़ा था इन्होंने अपने प्रारंभिक शिक्षा को संस्कृत भाषा में तथा बंगाली भाषा में अपने गांव से ही प्रारंभ किया था लेकिन आगे की पढ़ाई करने के लिए इनको पटना भेज दिया गया था और वहां पर उन्होंने अरबी तथा फारसी भाषा में अध्ययन किया था जब राजा राममोहन राय की आयु लगभग 22 वर्ष हो गई थी तो उस समय इन्होंने अंग्रेजी का अध्ययन कर लिया था लेकिन इन्होंने संस्कृत का ज्ञान लेने के लिए काशी जाने का निश्चय किया था काशी जाने के बाद इन्होंने संस्कृत भाषा में वेदों तथा उपनिषदों का अध्ययन किया था इन सबके अलावा राजा राम और राय ने बाइबल और कुरान तथा इस्लामीक ग्रंथों इन सब का अध्ययन भी इनके द्वारा किया गया था।

सती प्रथा पर रोक

जैसा कि आप लोग जानते ही हैं कि प्राचीन समय में भारत में सती प्रथा का प्रचलन था यानी कि जिस भी महिला का पति मर जाता था तो उस महिला को भी जिंदा जला दिया जाता था लेकिन राजा राममोहन राय ने इस प्रथा का विरोध किया था और इसको समाप्त करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और इसको बंद करने के लिए राजा राममोहन राय ने सरकार से भी अनुरोध किया था और उनके अनुरोध के अनुसार ही 1829 को बंगाल कोड पास कर दिया गया और भारत में सती प्रथा पर रोक लगा दी गई थी।

राजा राममोहन राय द्वारा मूर्ति पूजा का विरोध

राजा राममोहन राय ने सती प्रथा पर तो रोक लगाई थी लेकिन इसके साथ ही यह मूर्ति पूजा के भी कट्टर विरोधी थे राजा राममोहन राय ने एकेश्वरवाद के पक्ष पर अपना तर्क दिया था राजा राममोहन राय कहां करते थे कि ईश्वर तो एक ही हैं और ईश्वर के द्वारा ही इस ब्रह्मांड का संचालन किया जाता है राजा राममोहन राय के द्वारा हिंदू धर्म के लोगों को भी काफी समझाया गया था कि ईश्वर एक ही है और हमें इस पर विश्वास करना चाहिए।

राजा राममोहन राय द्वारा किए शैक्षणिक सुधार

राजा राममोहन राय के द्वारा अनेक इंग्लिश स्कूलों की स्थापना भी की गई थी और इसी के साथ ही इनके द्वारा कोलकाता में हिंदू कॉलेज की स्थापना भी की गई थी और यह कॉलेज ही आगे जाकर सबसे अच्छा शिक्षा का केंद्र बन गया था राजा राममोहन राय ने विज्ञान के क्षेत्र में काफी जोर दिया था क्योंकि उनका मान्यता की विज्ञान के क्षेत्र में युवा नई-नई तकनीक को हासिल कर सकते हैं और उसी के अनुसार यह पूरे भारत का विकास भी कर सकते हैं और उन्होंने अंग्रेजी भाषा में छात्रों को पढ़ाने का समर्थन भी किया था

राजा राममोहन राय की मृत्यु

महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय की मृत्यु 27 सितंबर 1833 को हुई थी जब यह अपने पेंशन की राशि लेने के लिए ब्रिटेन गए थे तो उसके दौरान ही उनकी मृत्यु हुई थी

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FAQ :-

राजा राममोहन राय का जन्म कब हुआ था?

Rajaram mohan Rai का जन्म 22 May 1772 को हुआ था।

राजा राममोहन राय ने किस प्रथा पर रोक लगाई थी?

राजा राममोहन राय ने सती प्रथा पर रोक लगाई थी और इसी के साथ ही इन्होंने मूर्ति पूजा का भी विरोध किया था और जाति वाद को भी इन्होंने समाप्त किया था।

राजा राममोहन राय की मृत्यु कब हुई थी?

राजा राममोहन राय की मृत्यु 27 सितंबर 1833 को हुई थी।

राजा राममोहन राय के माता-पिता का नाम क्या था?

राजा राममोहन राय के पिता तथा माता का नाम रामकंतो राॅय और त़ैरिनी था।

अंतिम शब्द :-

उम्मीद करता हूं दोस्तों आपको राजा राममोहन राय की जीवनी, राजा राममोहन राय का जीवन परिचय, Raja rammohan Rai biography in Hindi, Raja rammohan Rai ki jivani के बारे में आपको विस्तार पूर्वक बता दिया है यदि दोस्तों आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो आप इसको आगे भी शेयर कर सकते हैं।

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