सत्येंद्र नाथ बोस की जीवनी | Satyendra nath bose ki jivani

Satyendra nath bose ki jivani :- नमस्कार दोस्तों आपका आज के हमारे इस लेख में बहुत-बहुत स्वागत हैं आज इस लेख में हम चर्चा करने वाले हैं सत्येंद्र नाथ बोस की जीवनी के बारे में इनके बारे में हम संपूर्ण जानकारी को इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे आप लोग सब जानते हैं कि हमारे देश में बहुत सारे ऐसे वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है जिन्होंने भारत का इतिहास खोजने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी यहां तक की शुन्य से लेकर दशमलव तक की खोज हमारे इतिहास का बखूबी बखान करती हैं

प्राचीन समय के काल को विज्ञान का स्वर्णिम काल भी माना जाता है क्योंकि उस समय पूरे भारत देश में कुछ ना कुछ खोज होती रहती थी लेकिन उसके बाद हमारा देश गुलामी की जंजीरों में बंद गया था और यहां पर विदेशी आक्रमण होने लग गए थे उसके बाद में हमारे देश में ऐसे व्यक्तियों ने जन्म लिया जिन्होंने किसी भी प्रकार की कोई खोज नहीं की हमारी स्थिति वर्तमान में भी काफी कमजोर हैं लेकिन हम बौद्धिक रूप से आज भी किसी से कम नहीं है और हमारा दुनिया में इस स्थिति में सबसे पहला स्थान आता है

आज हम इस लेख में सत्येंद्र नाथ बोस की जीवनी के बारे में चर्चा करने वाले हैं जो एक महान भारतीय वैज्ञानिक थे जिनका लोहा अल्बर्ट आइंस्टीन भी माना करते थे सत्येंद्र नाथ बोस की जीवनी के बारे में हम यहां पर संपूर्ण जानकारी को प्राप्त करेंगे इसलिए दोस्तों आप हमारे इस लेख में अंत तक जरूर बन रहे तभी जाकर आप सत्येंद्र नाथ बोस की जीवनी के बारे में संपूर्ण जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं।

Satyendra nath bose ki jivani

महान भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म कोलकाता में हुआ था इनका जन्म 1 जनवरी 1894 को हुआ था इनके पिता जी का नाम सुरेंद्र नाथ बोस था जो ईस्ट इंडिया रेलवे में इंजीनियरिंग विभाग में काम करते थे सत्येंद्र नाथ बोस की माता का नाम अमोदिनी राय चौधुरी थी जो एक ग्रहणी के रूप में अपना काम करती थे सत्येंद्र नाथ बोस की पत्नी उषा बाई बोस थी सत्येंद्रनाथ बोस के माता पिता के कुल 7 संताने थी लेकिन सत्येंद्र नाथ बोस इकलौते बैठे थे और यह अपनी सभी बहनों में सबसे बड़े थे सत्येंद्र नाथ बोस की प्रारंभ से ही रुचि कहीं सारे क्षेत्रों में मानी जाती हैं जैसे केमिस्ट्री, फिजिक्स, मैथमेटिक्स, फिलॉसफी, लिटरेचर आदि इन सब में सत्येंद्र नाथ बोस की रुचि काफी अधिक थी

सत्येंद्र नाथ बोस की प्रारंभिक शिक्षा

बचपन में ही सत्येंद्र नाथ बोस की रुचि कहीं सारे क्षेत्र में थी उनके गांव का नाम नाडिया था जो पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में पड़ता था सत्येंद्र नाथ बॉस ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मात्र 5 साल में ही शुरू कर दी थी इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ही एक सामान्य स्कूल से प्रारंभ की थी उसके बाद सत्येंद्र नाथ बोस ने अपनी शिक्षा को जारी रखते हुए हिंदू स्कूल और न्यू स्कूल में एडमिशन ले लिया था 1909 में सत्येंद्र नाथ बोस ने एंट्रेंस एग्जाम मैट्रिकुलेशन पास कर लिया था और इस एग्जाम में सत्येंद्र नाथ बोस ने अपनी पांचवी रैंक हासिल की थी

इसके बाद भी सत्येंद्र नाथ बोस ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा और कोलकाता के सबसे प्रसिद्ध कॉलेज प्रेसीडेंसी कॉलेज में इन्होंने अपना एडमिशन ले लिया था और इस प्रकार सत्येंद्र नाथ बोस ने अपनी शिक्षा को लगभग पूरा कर लिया था सत्येंद्र नाथ बोस ने जब तक पढ़ाई की थी तब तक सत्येंद्र नाथ बोस अच्छे अंकों से ही पास हुए थे एक बार जब सत्येंद्र नाथ बोस ने गणित विषय का पेपर दिया था तो गणित के अध्यापक ने सत्येंद्र नाथ बोस को 100 में से 110 नंबर दे दिए और एक बात कही थी कि “सत्येंद्र नाथ बोस एक दिन बहुत बड़ा गणितज्ञ बनेगा यह मेरी भविष्यवाणी है”।

सत्येंद्र नाथ बोस का कार्य क्षेत्र

सत्येंद्र नाथ बोस ने अपनी पढ़ाई को पूरा किया था तो उसके बाद सत्येंद्र नाथ बोस ने अपने कार्य क्षेत्र में विज्ञान विषय को ही चुना था प्रारंभ में सत्येंद्र नाथ बोस ने कोलकाता के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में पढ़ाना शुरू कर दिया था सत्येंद्र नाथ बोस की रूचि विज्ञान विषय में काफी ज्यादा थी और उन्होंने विज्ञान विषय को पढ़ाने के साथ-साथ शोध कार्य करना भी शुरू कर दिया था शोध कार्य शुरू करने से पहले सत्येंद्र नाथ बोस ने प्लांट, आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिकों के शोध कार्यों को पढ़ना शुरू कर दिया था

आइंस्टीन ने सबसे पहले अपने प्रयोग के माध्यम से बताया था कि प्रकाश तरंग और छोटे बोल दोनों ही माध्यम से ही चलते हैं छोटे-छोटे बोल को हम फोटो और भी कर सकते हैं आइंस्टीन ने जब इस सिद्धांत को दिया था तो यह सिद्धांत प्लांट के सिद्धांत को प्रतिपादित नहीं कर पाया था उसके बाद सत्येंद्र नाथ बोस ने अपना एक सिद्धांत दिया जिसमें उन्होंने कहा कि फोटोन बोल की तरह बिल्कुल भी नहीं होते हैं बल्कि यह बिखरे हुए रूप में दिखाई देते हैं लेकिन आइंस्टीन ने तो फोटोन को एक बॉल की तरह बताया था

सत्येंद्र नाथ बोस ने अपनी इस नई खोज को इंग्लैंड की पत्रिका में छापने के लिए उसे इंग्लैंड भेज दिया लेकिन इंग्लैंड की पत्रिका में छापने के लिए मना कर दिया और इनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया उसके बाद सत्येंद्र नाथ बोस ने अपनी इस खोज को आइंस्टीन के पास ही भेज दिया और आइंस्टीन से अनुरोध किया था कि आप इस शोध को किसी भी पत्रिका में छपवाए उसके बाद आइंस्टीन ने सत्येंद्र नाथ बोस के इस शोध कार्य को जर्मन भाषा में अनुवाद करके इसको जर्मन के प्रसिद्ध पत्रिका में प्रकाशित करवा दिया था और उनके शोध कार्य के लिए आइंस्टीन ने सत्येंद्र नाथ बोस की तारीफ करते हुए एक पत्र लिख दिया था

आइंस्टीन में हमेशा सत्येंद्र नाथ बोस का साथ दिया था और वह प्रेरणा के स्रोत भी रहे थे आइंस्टीन के द्वारा तारीफ करने के बाद सत्येंद्र नाथ बोस काफी उत्साहित हो गए थे और उन्होंने क्रिस्टल विज्ञान के क्षेत्र में अपने अहम भूमिका निभाई थी उसके बाद सत्येंद्र नाथ बोस ने अपने शोध कार्य करने के लिए ढाका विश्वविद्यालय में एक्स-रे क्रिस्टल लैब का निर्माण करवाया था उसके बाद सत्येंद्र नाथ बोस को ढाका विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय का अध्यक्ष चुना गया

सत्येंद्र नाथ बोस ने आइंस्टीन से सबसे पहली मुलाकात अपनी विदेशी यात्रा के दौरान नवंबर 1925 को की थी अपनी इस विदेशी यात्रा के दौरान सत्येंद्र नाथ बोस कई सारे महान वैज्ञानिकों से भी मिले थे और उनके कई सारे दोस्त भी बन गए थे भारत में कई सारी राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का निर्माण में सत्येंद्र नाथ बोस ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और भारत में विज्ञान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए भी इन्होंने अपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी

बोस आइंस्टीन सांख्यिकी सिद्धांत

शुरुआत में वैज्ञानिकों के द्वारा इस बात को माना जाता था कि एकमात्र परमाणु ही सबसे छोटा कण होता है सत्येंद्र नाथ बोस ने क्वांटम फिजिक्स को एक नई दिशा भी दी थी लेकिन आगे चलकर इस बात का भी पता लगाया गया कि परमाणु के अंदर भी कई सारे सूक्ष्म कारण पाए जाते हैं जो वर्तमान में जो भी नियम प्रतिपादित हैं उनकी पालना नहीं करते हैं इन सबके बाद सत्येंद्र नाथ बोस ने अपना एक नया नियम दिया जो बोस आइंस्टीन सांख्यिकी सिद्धांत के नाम से प्रसिद्ध हुआ था

इस नियम के प्रतिपादित होने के बाद कई सारे वैज्ञानिकों ने परमाणु के अंदर पाए जाने वाले सूक्ष्म कणों के बारे में रिसर्च किया था बहुत सारा रिसर्च करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया था कि परमाणु के अंदर पाए जाने वाले सूक्ष्म कण दो प्रकार के पाए जाते हैं एक का नाम बोसोन तथा दूसरे का नाम फर्मिऑन था

नोबेल पुरस्कार ना मिलने का कारण

महान वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस ने विज्ञान के क्षेत्र में काफी कार्य किए थे और अपने काफी सिद्धांत प्रतिपादित किए थे सतेंदर नाथ बोस का नाम महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के नाम से भी जुड़ा था फिर भी सत्येंद्र नाथ बॉस को नोबेल पुरस्कार से नवाजा नहीं गया था सत्येंद्र नाथ बोस ने परमाणु के अंदर पाए जाने वाले सूक्ष्म कणों के बारे में भी खोज की थी लेकिन फिर भी सत्येंद्र नाथ बोस को नोबेल पुरस्कार से नवाजा नहीं गया था यह एक बहुत बड़ा प्रश्न हमारे सामने खड़ा होता है

मृत्यु

एक महान वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में काफी कार्य किए थे और अपने नियम भी प्रतिपादित किए थे ऐसे महान वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस की मृत्यु 4 फरवरी 1974 को हुई थी

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बोस द्वारा प्राप्त उपलब्धियां

  • सत्येंद्र नाथ बोस ने जिन दो सूक्ष्म कणों की खोज की थी उनमें से एक का नाम बोसोन इनके नाम पर ही रखा गया था
  • सत्येंद्र नाथ बोस ने बोस आइंस्टीन सांख्यिकी सिद्धांत का प्रतिपादन किया था
  • बोस आइंस्टीन कंडनसेट की उपलब्धि प्राप्त की थी

FAQ :-

सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म कब हुआ था?

सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म 1 जनवरी 1894 को हुआ था।

सत्येंद्र नाथ बोस ने कौन सा सिद्धांत दिया था?

फोटोन बोल की तरह बिल्कुल भी नहीं होते हैं बल्कि यह बिखरे हुए रूप में दिखाई देते हैं।

सत्येंद्र नाथ बोस ने दूसरा सिद्धांत कौन सा दिया था?

सत्येंद्र नाथ बोस ने बॉस आइंस्टीन सांख्यिकी सिद्धांत दिया था।

सत्येंद्र नाथ बोस की मृत्यु कब हुई थी?

सचिंद्र नाथ बोस की मृत्यु 4 फरवरी 1974 को हुई थी।

अंतिम शब्द :-

उम्मीद करता हूं दोस्तों हमने आपको जो सत्येंद्र नाथ बोस की जीवनी के बारे में यहां पर बताया है यह आपको बहुत पसंद आई होगी

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